Satyanarayan Bhatnagar JI Ka Panna: Here you can find the writings of Hindi Sahitya Bhushan Shree Satyanarayan Bhatnagar's writings and thoughts.
Tuesday, September 22, 2009
सफलता आपका इंतजार कर रही है
श्री ’क’ एक युवा छात्र था। वह पी.एम.टी. की तैयारी कर रहा था। उसके पिताजी वरिष्ठ अधिकारी थे। वे एक ज्योतिषीजी के सम्पर्क में थे। उन्होने सहज भाव से ज्योतिषी से पूछ लिया, ’पुत्र की डाक्टर बनने की क्या सम्भावना है? ज्योतिषी ने जन्म पत्री देख गणित लगाया और घोषणा कर दी कि पुत्र का चयन पी.एम.टी. में हो जाएगा’ पुत्र श्री ’क’ को इस घोषणा का पता चल गया। उसका प्रसन्न होना सहज ही था।
श्री ’क’ की चचेरी बहन भी पी.एम.टी. की तैयारी कर रही थी। उसे इस ज्योतिषी की घोषणा का पता चला तो उसने भी अपने पिता से कहा, ’मेरी जन्म पत्री भी इन्ही ज्योतिषी को बता दीजिए। पिताजी गए, जन्म पत्री बताई तो ज्योतिषी ने कहा, ’डाक्टर बनने की कोई सम्भावना नहीं है।’ पिताजी घर आए और बोले, ’बेटा! ज्योतिषी का कहना है कि तुम अथक परिश्रम करोगी तो ही सफलता मिलेगी। डाक्टर बनना तो निश्चित है पर मेहनत तो करना पड़ेगी।’ उन्होने भविष्यवाणी बदल दी।
परिणाम घोषित हुआ। श्री ’क’ असफल रहे। उनकी चचेरी बहन सफल हो गई। प्रतियोगी परीक्षा में ज्योतिष काम नहीं आया, अथक परिश्रम ही काम आया। यहाँ एक तथ्य पर विचार करना भी आवश्यक है, क्या ज्योतिष के जानकार यह घोषणा कर सकते है कि अमुक परीक्षा में सफल होगा ही, चाहे परिश्रम किया गया हो या नहीं। जब हम अन्धविश्वासी होकर चलेंगे तो परिणाम तो विपरीत होगे ही। फिर हम किसी के लिए ऐसी अन्धी अशुभ घोषणा कैसे कर सकते है कि कोई परीक्षा में असफल होगा ही। जैसे सफलता की निश्चित घोषणा विष है, वैसे ही असफलता की निश्चित घोषणा भी विष है। ऐसी ज्योतिषी की घोषणा युवा वर्ग को निरन्तर अभ्यास और परिश्रम करने से निरूत्साहित करती है। अन्दर से कमजोर बनाती है।
अतः यह कहा जा सकता है कि प्रतियोगी परिक्षा या ऐसे ही किसी प्रकरण में ज्योतिषी जी के पास जाने का अर्थ अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है क्योंकि वे जो भी घोषणा करेंगे वह विष का काम करेगी। सच्ची घोषणा तो यही होगी कि यदि अथक परिश्रम करोंगे तो ही सफलता तुम्हारे कदम चुमेगी। जिस जिसने भी परिश्रम किया है उसी को सफलता मिलती रही है। परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। जीवन के हर क्षैत्र में सफलता का एकमात्र राजमार्ग परिश्रम के माध्यम से ही प्राप्त किया जाता है। अंग्रेज निबंधकार एडीसन महोदय ने सच कहा है, ‘कोई भी यथार्थतः मूल्यवान वस्तु ऐसी नहीं है जो कष्टों और श्रम के बिना खरीदी जा सके।’
जीवन में अथक और निरंतर परिश्रम के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति का दृष्टिकोण आशावादी होना चाहिए। आशावादी दृष्टिकोण व्यक्ति को सकारात्मक सोच की ओर ले जाता है। सकारात्मक सोच व्यक्ति का स्वप्न देखने और उन्हें साकार करने का जोश पैदा करता है। जैसे घड़ी में चाबी भरी हो तो चलती रहती है वैसे ही आशावादी दृष्टिकोण युवाओं को कर्म योग की ओर प्रेरित करता रहता है। नकारात्मक अंधविश्वासी कोई भी कर्म सफलता के मार्ग में काँटे बिछाने जैसा है। क्योंकि यह सफलता के प्रति सन्देह उत्पन्न कर देता है। हर सफलता अपना मूल्य मांगती है। यदि बिना मूल्य के कोई वस्तु मिले तो मान कर चलिए उसका हमें भविष्य में बहुत बड़ा मुल्य चुकाना पडे़गा। वह मार्ग खतरनाक है। अभी भले ही वह आकर्षक लगे।
परिश्रम से प्राप्त सफलता हमें एक आत्मविश्वास जागृत करती है। हम अनुभव प्राप्त करते है। यह अनुभव हमें एक विश्वास जगाता है कि हम कार्य कर सकते है। इतना ही नहीं इस परिश्रम से प्राप्त सफलता का परिणाम यह होता है कि हमारी एक छबि बन जाती है कि हम कार्य कर सकते है। यह छबि अमूल्य है, इस छबि के कारण दूसरे हम पर विश्वास करने लगते है। इस विश्वास के कारण वे भी हमारे कार्य में सहयोग देने लगते है। स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गाँधी और मदर टेरेसा जैसे उदाहरण हमारे सामने है। इनकी ऐसी छबि बन गई कि पूरा देश उन पर विश्वास कर गया और उन्हे सफलता के साथ सम्मान और प्रतिष्ठा भी मिली। परिश्रम के फल अत्यन्त मधुर है। साहित्यकार कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर ’जिन्दगी मुस्कराई’ में कहते है, ’परिश्रम ही हर सफलता की कुंजी है और वही प्रतिभा का पिता है।’ परिश्रम के साथ प्रतिभा का निखार तो आना ही है।
अन्धविश्वास के अतिरिक्त आज जो वातावरण हमारे चारों ओर बन गया है, वह भी युवकों को निराश करता है। ऐसा कहते है कि चारों और भ्रष्टाचार है, भाई भतीजावाद है और इसलिए कितना ही परिश्रम करो, सब व्यर्थ है। कई युवक तो इन तर्को के आधार पर प्रतियोगिता में सम्मिलित ही नहीं होते। कई युवक अपनी असफलता के लिए इसे बहाने के तौर पर उपयोग करते है। यह सच है कि कुछ प्रकरणों में ऐसा दिखाई दिया है लेकिन ऐसा नहीं है कि कड़ी मेहनत व्यर्थ जाती हो। परिश्रमी भी असफल होते है किन्तु जो सफल होते वे भी परिश्रमी ही होते है।
ऐसे प्रकरणें में असफलता का कारण युवकों में लक्ष्य का अभाव देखा गया है। यदि हमने कोई स्वप्न सजोया है तो वह ऊँचा होना चाहिए और हमें कड़ी मेहनत द्वारा उसका मूल्य चुकाने के लिए तैयार होना चाहिए। इसी देश में अत्यन्त गरीब वर्ग के युवकों ने ऊँचे स्वप्न सजाकर सफलता का परचम लहलराया है। क्या आप सुशील कुमार शिन्दे को जानते है? यदि नहीं तो आपको जानना चाहिए। भारत में वे कई उच्च पदों पर कार्य कर चुके है। वर्तमान में वे केन्द्रीय शासन के विघुत विभाग के मंत्री है। वे अत्यन्त गरीब चर्मशोधन कार्य करने वाले परिवार से है। उन्हे गरीबी के कारण पर्याप्त शिक्षा न मिल सकी तो उन्होने प्रारम्भ में मुम्बई न्यायालय में भृत्य की सेवा की। सेवा में रह कर विधि स्नातक हुए और तब राजनीति में आए। संघर्षो की लम्बी कहानी है उनका जीवन। सफलता के लिए पसीना तो बहाना ही पड़ेगा, धैर्य भी धारण करना पडे़गा। यहाँ चट मंगनी, पट ब्याह सम्पन्न नहीं होता। राजस्थान के किसी अज्ञात कवि ने लिखा है,
राम कहे सुग्रीव ने लंका केती दूर ?
आलसिया आधी घणी, उद्यम हाथ हजूर ।
राम ने सुग्रीव से पूछा कि लंका कितनी दूर है। सुग्रीव ने उत्तर दिया- ’स्वामी ! आलसियों के लिए बहुत दूर है पर उद्यमशील के हाथ के पास ही है।’ जो धैर्य धारण कर परिश्रम करेगा सफलता उसके पास खड़ी है। इस तरह की सफलता को भाग्य कह कर मत झूठलाइए। निरन्तर परिश्रम करने वाले भाग्य को भी परास्त कर देते है।
उपरोक्त उदाहरण के अतिरिक्त भी कई उदाहरण है। डाक्टर आर.एल.भाटिया फन एण्ड जाय कम्पनी के सी.ई.ओ. है। अभी वे एक कार्यक्रम में इन्दौर (म.प्र.) में आए थे। उन्होने स्वयं बताया कि वे बारह वर्ष की आयु में स्टैंडर्ड चार्टर बैंक में प्युन बने थे। पच्चीस वर्ष के अथक परिश्रम के बाद वे उसी बैंक में एच.आर.विभाग के प्रमुख की हैसियत से पहुँचे। उसके बाद उन्होने खुद की कम्पनी प्रारम्भ की जिसका टर्नओव्हर तीन से चार करोड़ है। उनके शिक्षक उन्हे कमजोर समझते थे। वे नौंवी में अधिकांश विषयों में फैल हुए लेकिन परिश्रम के बल पर 1987 में पी.एच.डी. पुरी की। सफलता के लिए संघर्षो की लम्बी कहानी है यह ।
ऐसा नहीं है कि एक दो बार असफल हुए और निराश होकर बैठ गए। नहीं, यदि आपने लक्ष्य उँचा रखा है तो उसे साकार करने के लिए निरन्तर परिश्रम के लिए डॅटे रहना पडेगा। सफलता भी आपकी कई परिक्षाएँ लेकर तय करती है कि आप उसे पाने के योग्य भी है या नहीं। लेकिन जब उसे पता चल जाता है कि हम पात्र है तो फिर एक शक्ति का उदय हमारे अन्दर ही होता है जो हमें पहुँचा देता है लक्ष्य की ओर । ऐसे कई जीवित उदाहरण है जो हमारे आसपास ही मिल सकते है।
सफलता की लम्बी कहानी किसी सिफारिश या भ्रष्टाचार के आधार पर चल ही नहीं सकती, क्योकि जीवन का संग्राम एक दिन या एक वर्ष का नहीं होता। कोई छोटा मोटा पद पा लेना सफलता का एक चरण हो सकता है। पर मंजिल तो दूर ही रहती है। उँचे स्वप्न साकार करने का मूल्य पसीने से ही तोला जा सकता है जो देता है योग्यता, अनुभव, आत्मविश्वास और विजेता का भाव। चाहे जो परिस्थिति हो, चाहे जो उम्र हो, आप चाहे जहाँ हो यदि ठान लेंगे अपने अन्दर से धीरे धीरे रास्ता मिलता जाएगा।
हमारी गरीबी, अपंगता या दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र में निवास हमारे लिए कमजोरी नहीं है। ब्रिटिश सेनापति एवं राजनीतिज्ञ आर्थर बेलेजली ने क्या खूब लिखा है, ’अस्तबल में जन्म लेने मात्र से कोई मनुष्य घोड़ा नहीं हो जाता।’ मनुष्य होने मात्र से जीवन संघर्ष में सफलता के हम हकदार हो जाते है। अन्ध विश्वास और नकारात्मक सोच के हीन भावों के जालों को नष्ट कीजिए और एक विश्वास भरा कदम उठाइए। सफलता आपका इन्तजार कर रही है।
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bhatanagar sahib,
ReplyDeleteaap to ratlam ke hi hai,
kabhi milen aur Tea-party karen to kaisa rahen?
aapka kya khayal hai? batayen
meri email Id par aapka sampar no. bheje to maja aa jayen....
pan_vya@yahoo.co.in
सत्यनारायण जी, साधुवाद .बहुत प्रेरणास्पद लेख है. अधिकतर ज्योतिषी जो इस प्रकार की भविष्यवाणी करते हैं उनका उद्देश्य केवल धन कमाना होता है. यह तथ्य सभी को जान लेना चाहिये कि ज्योतिष तो केवल आपका मार्गदर्शन करता है, कर्म तो आप को करना ही है तभी तो फल की प्राप्ति होगी. सच्चा ज्योतिष आपकी कमियों को उजागर कर उन्हे दूर करने के उपाय बता आत्मविश्वास बढ़ाने का कार्य करता है . किन्तु ये ध्यान रखें आपका भाग्य कोई नहीं बदल सकता.
ReplyDeleteआज ज्योतिष के नाम पर ठगी हो रही है. t.v. , मिडिया सभी दैनिक राशिफल के नाम पर मूर्ख बना रहे हैं.इस विषय में सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है.
विजयप्रकाश
चाहे जो परिस्थिति हो, चाहे जो उम्र हो, आप चाहे जहाँ हो यदि ठान लेंगे अपने अन्दर से धीरे धीरे रास्ता मिलता जाएगा।
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी आपकी बातें .. आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए .. ग्रहों का समय कुछ दिनों तक ही बाधा उपस्थित करने का होता है .. पूरे जीवनभर ग्रह किसी को बाधित नहीं कर सकते !!
Hi, it's a very great blog.
ReplyDeleteI could tell how much efforts you've taken on it.
Keep doing!