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Friday, August 14, 2009
बापू ने मनाया था जेल में स्वतंत्रता दिवस
१५ अँगस्त के लिये विशेष
आज तो देश विदेश में भारत का स्वतंत्रता दिवस १५ अँगस्त को धुमधाम से मनाया जाता है पर क्या आपको पता है जब भारत गुलाम था तब स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता था, आप नहीं जानते ना, तो हम बताते हैं यह दिवस तब २६ जनवरी को मनाया जाता था। बात है महात्मा गांधी की जेल यात्रा की । तब वे आगा खां महल में कैद थे और २६ जनवरी १९४३ का दिन आया। तब उन्होनें जेल में पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया।
कैसे मनाया गया यह स्वतंत्रता दिवस यह जानना रोचक होगा। महात्मा गाँन्धी ने इस दिन के लिये एक प्रतिज्ञा तैयार की थी। आइए देंखें, इस प्रतिज्ञा में गाँन्धीजी ने क्या लिखा था।
"हिन्दुस्तान हर माने में सत्य और अहिन्सा के जरिये पूरी तौर पर आजाद हो, यह मेरा तात्कालिक उद्देश्य है और बरसों से रहा है। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिये मैं आज स्वतंत्रता - दिन की इस तेरहवी बरसी के दिन फिर से प्रण लेता हूँ कि जब तक हिन्दुस्तान अपने उद्देश्य को न पा ले तब तक न मैं खुद चैन लुंगा, न जिन पर मेरा कुछ भी असर है, उन्हें चैन लेने दूंगा। मेरी यह प्रतिज्ञा सफल हो इसके लिए मैं उस महान अदृष्य दिव्य शक्ति से जिसे हम गाँड, अल्लाह या परमात्मा रुपी परिचित नामों से पुकारते है, सहायता की प्रार्थना करता हूँ।"
बनाया तिरंगा झण्डा
कारावास में तिरंगा झण्डा कहाँ से आता। अतः उसे बनाया गया। झण्डा बनाने के लिए हल्दी और सोड़ा डाल कर नारंगी रंग तैयार किया गया। हरा पेस्टल लगाकर बनाया। सफेद रंग पर पेंसिल से मीरा बहन ने चर्खा बनाया और जेल के बगीचे में आम के पेड़ के नीचे छोटा सा स्तम्भ गाड़ा गया। इस स्तम्भ पर ही मीरा बहन ने झण्डा बांधा। झण्डा भी मीरा बहन ने ही तैयार किया था।
झण्डा वंदन महात्मा गाँन्धी ने किया। जेल के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की थी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरोजनी नायडू ने। जब अध्यक्षता के लिए गाँन्धीजी ने उनका नाम सुझाया तो सरोजनी नायडू ने कहा था "आपके रहते यह स्थान कौन ले सकता है" पर अन्ततः वे महात्मा गाँन्धी के समझाने पर मान गई।
इस कार्यक्रम का जो ब्योरा मिलता है उसके अनुसार इस अवसर पर "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा" गाया गया। इसके बाद बापू ने झण्डा फहराया। झंडा वंदन का गीत भी गाया गया। महात्मा गाँन्धी द्वारा तैयार की गई प्रतिज्ञा दोहराई गई। तब वंदे मातरम का गायन हुआ।
इस अवसर सरोजनी नायडू ने कहा, "लाखो लोग होते तब भी करना तो यही था न।" प्रार्थना में "वंदो श्री हरि पर सुखदाई" गाया गया। इस अवसर पर कताई करने का कार्यक्रम बना। बापू ने कहा "मैने जो कहा है न कि सूत के धागे में स्वराज्य बंधा है।"
२६ जनवरी १९४४ को भी जेल में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इस दिन सबने चौबीस द्यन्टे उपवास किया। कैदियों के लिये पकौडे़ और चाय बनाई गई। शाम को सवा सात बजे झण्डावन्दन किया गया। प्रतिज्ञा की गई और तीन भजन गाए।
इस प्रकार स्वतंत्रता प्राप्त होने के पूर्व २६ जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था। जो प्रतिज्ञा महात्मा गाँन्धी ने लिखी थी, वह १५ अँगस्त १९४७ को पूर्ण हुई किन्तु गाँन्धीजी ने जिस सादगी से स्वतंत्रता दिवस मनाया वह आज के लिए एक उदाहरण है। क्या हम उन स्वतंत्रता सेनानियों के स्वप्नों के भारत को साकार करने के लिए कुछ योगदान दे रहे है? बापू के कारावास की कहानी पुस्तक में इसका उल्लेख मिलता है। बापू ने इक्कीस माह आगा खां महल में कारावास काटे थे। हमारी स्वतंत्रता के लिए उठाए इन दुःखद क्षणों में उन्होंने जेल में जो स्वतंत्रता दिवस मनाए वे हमारे लिए एक प्रेरक सन्देश है।
’बापू के कारावास की कहानी‘ डा. सुशीला नैयर, प्रकाशक सस्ता साहित्य मण्डल के आधार पर।
प्रस्तुति- सत्यनारायण भटनागर
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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INDIAN DEITIES
ब्लाग जगत में आपका स्वागत है शुभकामनांएं!!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteवैसे तो आपकी अच्छे विचारों वाली रचनाओं को काफी दिनो से पढते आ रहे हैं .. फोलोवर भी बन चुके हें .. पर आज चिट्ठा जगत की ओर से मेल मिलने के कारण आपका स्वागत करने की परंपरा निभानी पड रही है।
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